Chaibasa : सुदूरवर्ती जंगली इलाकों में आज भी ऐसे गांव मौजूद हैं जहां की नारकीय जिंदगी सरकारी सुविधाओं के अभाव में पाषाण काल की याद दिलाती है. ऐसे ही गांवों में शुमार है खूंटपानी प्रखंड का चेंडेया गांव. ये गांव है तो जिला मुख्यालय से महज दस किलोमीटर दूर. लेकिन यहां की जिंदगी सुविधाओं के अभाव में कराह रही है.
ग्रामीणों की माने तो यह गांव प्रशासनिक व राजनीतिक रूप से उपेक्षित है. न तो सरकारी पदाधिकारी सुधि लेने आते हैं और न ही कोई जनप्रतिनिधि, नतीजतन गांव में मूलभूत समस्याएं मुंह बायें खड़ी हो गयी हैं.
इधर, रविवार को खूंटपानी प्रखंड के प्रमुख सिद्धार्थ होनहागा ने इस गांव का दौरा किया और सरकारी सुविधाओं का जायजा लिया. तत्पश्चात उन्होंने कहा कि वाकई इस गांव में चहुंओर समस्या ही समस्या है. आने-जाने के लिये सड़क तक नहीं है. इस कारण बीमार पड़ने पर रोगी को खटिया पर लिटाकर मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है.
श्री होनहागा ने बताया कि गांव में आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है. इस कारण उससे मिलनेवाले लाभ से भी बच्चे, धात्री, गर्भवती, किशोरी वंचित हैं. गांव तथा प्राथमिक विद्यालय के बीच दूरी अत्यधिक होने के कारण ड्रॉपआउट बच्चों की संख्या बढ़ रही है. इसके अलावे रोजगार, पेयजल, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी यहां गंभीर है. पक्के व कच्चे मकानों के अभाव में ग्रामीण घास-फूस से बनी झोपड़ियों में रहने को विवश हैं.
उन्होंने बताया कि पड़ोसी गांव जम्बुई एवं नचरिया गांव का हाल भी कमोवेश ऐसा ही है। उन्होंने ग्रामीणों को गाँव की समस्या से जिला प्रशासन को अवगत कराने का आश्वासन दिया.