क्लिनिकल कार्डियो डायबिटिक सोसायटी ऑफ इंडिया (CCDSI) एवं इंडियन कॉलेज ऑफ कार्डियो डायबटोलॉजी एंड मेटाबोलिक डीजीसेस ( ICCMD) के द्वारा महिलाओं में हाईपरटेंशन, गर्भावस्था में इसका प्रभाव और उसके बाद की स्थिति जैसे अति महत्वपूर्ण विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. यह 5 दिवसीय आयोजन मुंबई के समीप लक्षद्वीप मार्ग पर कार्डेलिया क्रूज में आयोजित हुआ. जिसमें देश विदेश के नामचीन चिकित्सकों ने हिस्सा लिया और उपर्युक्त विषय पर अपने अनुभवों को साझा किया.
डॉ सौम्य सेनगुप्ता ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया मधुमेह से संबंधित शोध, हुए सम्मानित
डॉ सेनगुप्ता ने भी महिलाओं में गर्भावस्था के बाद हाईपरटेंशन के भिन्न रूप में प्रकट होने की स्थिति पर प्रभावशाली विचार प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि यह एक जटिल अंतः क्रिया है. हार्मोनल बदलाव, वास्कुलर बायोलॉजी और लिंग-विशिष्ट जोखिमों का समावेश इसका मुख्य कारण है. उन्होंने जीवन शैली में बदलाव सहित इससे बचाव के अन्य उपाय भी बताए. चिकित्सा क्षेत्र में देश के निरंतर सुधारात्मक प्रगति के दृष्टिकोण से इस कार्यशाला में चिकित्सकों के द्वारा विशेषरूप से भारत की अपनी स्वयं की BP कट-ऑफ्स निर्धारित करने पर भी गंभीर चिन्तन किया गया.
उपस्थित चिकित्सकों की राय में अब समय आ गया है कि भारतीय जन जीवन और पारिस्थितिक वातावरण में भारत को स्वयं भी इसका एक मानक तय करना चाहिए विशेषकर गर्भावस्था मे, अधिकतर चिकित्सकों के अनुसार डीवीसी ‘वन-साइज़ फिट्स ऑल’ अब उपयुक्त और प्रासंगिक नहीं है साथ ही यह जोखिम भरा भी है. हमारी विशाल जनसंख्या और जीवन शैली की विभिन्नता के दृष्टिकोण से इसमें और अधिक सटीकता और वैयक्तिकता आवश्यकता है. इस कार्यशाला में और भी कई महत्वपूर्ण सुधारात्मक विषयों पर चिकित्सकों की एकमत राय कायम हुई जिसका दूरगामी प्रभाव चिकित्सा क्षेत्र में दिखलाई देगा.
http://मधुमेह से पीड़ित लोगों को अपने पांव का रखना चाहिए विशेष ध्यान -डॉ सौम्य सेनगुप्ता