Chaibasa:- राज्य सरकार द्वारा कोर्ट फी पर की गई वृद्धि को लेकर पूरे झारखंड के जिला बार एसोसिएशन में काफी रोष व्याप्त है. जहां पहले अभियुक्त को न्यायालय में उपस्थित नहीं होकर अधिवक्ता द्वारा प्रतिनिधित्व करवा कर पांच रुपये का शुल्क देना पड़ता था. वहीं अब प्रतिनिधित्व आवेदन शुल्क पांच की जगह 20 रुपये देना होगा. नए नियम से आम जनता काफी परेशान है. शपथ पत्र पर भी पहले कोर्ट को पांच रुपये देना पड़ता था. अब नए नियम के अनुसार 20 रुपये देना होगा. इसी तरह वकालतनामा पर नए नियम के अनुसार 4 से 5 गुना तक शुल्क बढ़ गया है. यह बात झारखंड स्टेट बार काउंसिल के सदस्य सह अधिवक्ता अनिल महतो ने कही.

उन्होंने कहा कि आम जनता पर बोझ पड़ गया है. सरकार लूट मचा रही है. झारखंड जैसे गरीब राज्य में आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. कहीं से भी जनता के लिये न्यायिक निर्णय नहीं है. उन्होंने कहा कि दीवानी एवं फौजदारी केस करने और लड़ने में अब जेब पर पहले से काफी अधिक बोझ बढ़ेगा. सस्ता न्याय अब महंगा हो गया है. निचली अदालतों के वकालतनामा पर कोर्ट फी पांच से बढ़ाकर 30 रुपये कर दी गई है. निचली अदालतों के शपथ पत्र पांच रुपये की जगह 20 एवं हाईकोर्ट में यह 30 रुपये हो गया है. सामान्य आवेदन पर शुल्क 250 से 500 रुपये किया गया है. अपील एवं अदालत में रिप्रेजेंटेशन चार गुना महंगा हो गया है.

सरकार ने अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए बढ़ाई फीस:- 

झारखंड सरकार ने अपनी आमदनी बढ़ाने के लिये कोर्ट फीस में जबरदस्त वृद्धि की है. इससे सरकार को प्रत्येक साल करोड़ों रुपये का अधिक राजस्व प्राप्त होगा. तर्क यह दिया जा रहा है कि काफी समय से कोर्ट फीस नहीं बढ़ाई गई थी, वर्तमान में यह काफी कम है. उन्होंने कहा कि सामान्य व्यक्ति के लिए अदालत से न्याय पाना महंगा हो गया है, या एक तरह से अब न्याय पाना एक सपना के बराबर हो गया है. अदालत में अर्जी, अपील दाखिल करने से लेकर नकल निकालना तक महंगा हो गया है. कोर्ट फीस की वृद्धि मेरी नजर में न्यायोचित नहीं है.

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