Chaibasa:- स्थानीय नीति में 1932 का खातियान को आधार बनाने से स्थानीय नीति का आंदोलन सीमित होगा. लोबिन हेंबरोम को ये समझना होगा कि कोल्हान में 1932 में कोई सर्वे नहीं हुआ, और ना ही खातियान बना. ऐसे में कोल्हान के लोग 1932 आधारित स्थानीय नीति से बाहर होंगे.

उक्त बातें मुकेश बिरुवा उपाध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी महासभा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही. उन्होंने कहा कि बेहतर होगा स्थानीय नीति का आधार अंतिम सर्वे सेटलमेंट को बनाया जाना चाहिए. जहां पर जब भी अंतिम सर्वे हुआ है. वहाँ पर स्थानीय नीति का आधार वही हो. राँची क्षेत्र में 1932 का सर्वे हुआ जो अंतिम है. वहीं कोल्हान में 1963-64 का सर्वे अंतिम सर्वे सेटलमेंट है. मुद्दा को स्पष्ट करना ज़रूरी है, नहीं तो लोग ठगा महसूस करेंगे. लोगों से संवाद होना लोकतांत्रिक परिपेक्ष्य में ज़रूरी है. एकतरफ़ा विचार से आंदोलन सीमित होने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

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