Chaibasa:- छात्र हित के व्यापक मांगों को लेकर छात्र संघ महिला कॉलेज चाईबासा के प्राचार्य प्रोफेसर प्रीति बाला सिन्हा से छात्र संघ का एक प्रतिनिधि मंडल मिलने पहुंचा. प्राचार्य कक्ष में घुसते ही छात्र संघ के प्रतिनिधिगण के साथ प्राचार्य प्रोफेसर प्रीतिबला सिन्हा ने दुर्व्यवहार करते हुए बिना अनुमति के प्राचार्य कक्ष में आने से बाहर जाने की बात कही साथ ही आप लोग कौन हैं, अंदर कैसे आ गए जैसे शब्दों का भी प्रयोग किया गया. आज एक भारत के स्वतंत्र संविधान की गरिमा को ठेस पहुंचाने एवं विद्यार्थियों द्वारा चुने गए छात्र संघ के प्रतिनिधियों के साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार हो रही है. छात्रसंघ प्राचार्य द्वारा किए गए दुर्व्यवहार का विरोध करते हुए खड़ी शब्दों में निंदा करती है और आने वाले दिनों में आंदोलन करने की चेतावनी देती है.
मौके पर उपस्थित कोल्हान विश्वविद्यालय छात्र संघ के सचिव सुबोध महाकुड़ ने कहा कि विगत दिनों महिला कॉलेज चाईबासा के इंटरमीडिएट में प्रवेश पत्र की राशि 250रुपये अधिक लिए जाने के कारण इसकी शिकायत प्राचार्य से की गई थी. परंतु उस पर अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया. जिसकी जानकारी एवं बात रखने के लिए हम सभी प्राचार्य से मिलने आए हुए थे. परंतु हम सभी जीते हुए छात्र संघ के प्रतिनिधियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया. मुझे लगता है आम छात्राओं पर प्राचार्य मैडम का कैसा रवैया होता होगा इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है.
इसी बीच उपस्थित टाटा कॉलेज छात्रसंघ के विश्वविद्यालय प्रतिनिधि मंजीत हासदा ने कहा की प्राचार्य द्वारा इस तरह की व्यवहार करना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. कोल्हान विश्वविद्यालय के अंतर्गत महिला कॉलेज में पढ़ने वाले छात्राओं में से 80% विद्यार्थी गरीब पिछड़ा ग्रामीण आदिवासी बहुल क्षेत्र से आते हैं. बहुत सारी छात्राएं कॉलेज की समस्याएं छात्र प्रतिनिधियों के माध्यम से कॉलेज प्रशासन तक पहुंचाते हैं. और इस तरह छात्र हित की मांगों को अनदेखा करना मौलिक अधिकार का हनन है. भारत का संविधान धारा 46 आदिवासी बहुल क्षेत्र में विशेष प्रबंध करने की वकालत करता है. परंतु अत्यंत दुख का विषय है कि बार-बार मांग करने के बावजूद यहां के विद्यार्थियों को मौलिक सुविधा उपलब्ध कराने में असमर्थ रहा है.
पीजी विभाग छात्रसंघ अध्यक्ष सनातन पिंगुआ ने कहा छात्र प्रतिनिधियों की मांगों को अनदेखा करना सरासर गलत है और महिला कॉलेज एक ऐतिहासिक कॉलेज है, जंहा ग्रामीण इलाके के दूरदराज से विद्यार्थी पढ़ने आते हैं. विद्यार्थियों के लिए 1 -1 रुपैया बहुत मायने रखता है और फिर ऐसे में नामांकन फीस लगातार बढ़ोतरी करना, छात्राओं पर आर्थिक बोझ बन जाती है. आज प्राचार्य के द्वारा छात्र संघ प्रतिनिधियों के साथ किया गया दुर्व्यवहार का मैं कड़ी शब्दों में निंदा एवं विरोध करता हूं.