Ranchi..माओवादी संगठन ने दो दिसंबर से पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गोरिल्ला आर्मी का स्थापना सप्ताह मनाने की घोषणा की है. इसकी जानकारी झारखंड सहित नक्सल प्रभावित अन्य राज्यों के सुरक्षा बलों को मिली है. इसके बाद मुख्यालय के स्तर से संबंधित जिलों को अलर्ट किया गया है. इधर, प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने झारखंड-बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा व तेलंगाना की सेंट्रल, रीजनल, जोनल, सब-जोनल व एरिया कमेटियों को भंग कर दिया है. वहीं संगठन की ओर से माओवादी कमांडरों को भूमिगत होने का फरमान जारी किया गया है. साथ ही संगठन के पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गोरिल्ला आर्मी के कमांडरों को छोटे-छोटे ग्रुप में बंटने व बड़ी गतिविधियों के दौरान ही एक साथ जमा होने को कहा गया है. माओवादियों के इस कदम पर सुरक्षा एजेंसियों की नजर है.
छत्तीसगढ़ की सुरक्षा एजेंसियों ने इसको लेकर अलर्ट किया है. दूसरी ओर माओवादियों के पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो के मुख्यालय पश्चिम सिंहभूम के सारंडा में चौकसी बढ़ा दी गयी है. माओवादियों के इस कदम के पीछे संभावना जतायी जा रही है कि हाल के दिनों में छत्तीसगढ़, बिहार-झारखंड में मुठभेड़ के दौरान हुए नुकसान के कारण माओवादी संगठन ने यह कदम उठाया है, ताकि कमांडर भूमिगत रहते हुए धीरे-धीरे संगठन को मजबूती प्रदान करें और फिर अपनी उपस्थिति दर्ज करायें.
नक्सली क्यों मनाते हैं पीएलजीए सप्ताह
देश के माओवाद प्रभावित राज्यों में हर साल नक्सलियों द्वारा 2 दिसंबर से 8 दिसंबर तक पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) सप्ताह मनाया जाता है. पीएलजीए सप्ताह के दौरान नक्सली बंद का आह्वान करते हैं. इसके अलावा नक्सलियों के बड़े लीडरों द्वारा बैठक कर आने वाले नए साल के लिए रणनीति तैयार की जाती है.
पीएलजीए सप्ताह मनाने का कारण
पीएलजीए को पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी कहा जाता है. इसमें नक्सली संगठन के लड़ाकुओं को शामिल किया जाता है. ये लड़ाकू जवानों के साथ आमने-सामने की मुठभेड़ में शामिल होते हैं. अत्याधुनिक हथियारों से लैस पीएलजीए सदस्य गुरिल्ला आर्मी वॉर मे माहिर होते है. हर साल 2 दिसंबर से 8 दिसंबर तक अपने इन पीएलजीए के सदस्यों के मारे जाने की याद में नक्सली इस सप्ताह को मनाते हैं. इसके साथ ही अपने पूरे साल का लेखा-जोखा जारी करते हैं. आने वाले साल में संगठन कैसे चलेगा इसकी प्लानिंग भी बड़े नक्सली लीडरों के द्वारा की जाती है. इस दौरान सुरक्षाबलों पर हमले की रणनीति भी बनाई जाती है.
साल 2000 में हुई थी पीएलजीए की स्थापना
नक्सलियों ने इस संगठन की स्थापना साल 2000 में की थी. इस साल पीएलजीए की 21वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है. इस सप्ताह में नक्सली अपने सबसे मजबूत ठिकानों में बड़े नक्सलियों के साथ बैठक करते हैं. बैठक में सेंट्रल कमेटी के मेंबर समेत बड़े नक्सली लीडर और नक्सली कमांडरों को भी शामिल किया जाता है. बैठक में सालभर में संगठन को हुए नुकसान, फायदे और लेवी की राशि से सम्बंधित और हथियारों की सप्लाई सभी तरह के विषयों पर चर्चा की जाती है. इस दौरान नक्सली अपने निचले कैडरों को बंद की जिम्मेदारी सौंपते हैं ताकि पीएलजीए सप्ताह के दौरान पुलिस की पहुंच उन तक ना पहुंचे. इसीलिए जगह-जगह मार्ग को अवरुद्ध करने के साथ ही अंदरूनी क्षेत्रो में आवागमन भी प्रभावित नक्सलियो के द्वारा की जाती है. वही सभी ठिकानों में नक्सली मोर्चे पर तैनात रहते हैं ताकि इस दौरान सुरक्षाबलों द्वारा सर्चिंग अभियान चलाया जाए तो आसानी से वे फोर्स पर हमला कर सकें.