Hatgamharia (हाटगम्हारिया) : हर बर्ष की भाँति इस वर्ष भी कोचड़ा गाँव में माता ठाकूराणी की भव्य पूजा का आयोजन किया गया. बूजूर्गो की माने तो कोचड़ा गाँव में ग्राम देवी माता ठाकूराणी की पूजा अर्चना पिछले 1816 से निर्वाध रूप से होती आ रही है.
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श्रद्धालुओं का मानना है कि जो भी मनोकामना लेकर माता के दरबार आते हैं वह सफल होती है. मनोकामना सफल होने पर माता को प्रसाद के रुप में चढ़ावा दिया जाता है. चढ़ावे के रुप में श्रद्धालुओं द्वारा खोंदा(10 फीट लम्बा 1 फीट गड्ढा तथा 1 फीट चौड़ा गड्ढा) दिया जाता है. उसी के आग में श्रद्धालु चल कर अपनी भक्ति की शक्ति का परिचय देते हैं.
उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर यहाँ एक मेला का आयोजन किया जाता है. मेले में सबसे आकर्षण का केंद्र रहता है दहकते अंगारों में श्रद्दालुओं का चलना. इसके लिये श्रद्धालु एक सप्ताह से दिन को निर्जला उपवास रह कर शाम को माता की पूजा करते हैं. एक सप्ताह के बाद 10- 10 फीट दो दहकते अंगारों वाली खोंदा में हजारों की भीड़ में चल कर अपनी आस्था को दर्शाते है. इसके लिये मुख्य पुजारी लखीन्द्र कुम्हार के दिशा निर्देश पर अग्नि कुँवारी के द्वारा आग में प्रथम कदम रखने के बाद अन्य श्रद्धालु चलते हैं.मेला में मनोरंजन हेतु और भी विभिन्न तरह के खेल तमाशे वाले अपने हूनर का प्रदर्शन कर कुछ रोजगार कर लेते हैं.
20 फीट वाली लम्बी खम्भ के उपर 10 हजार इनाम की राशि टाँग दी जाती है. जो व्यक्ति 20 फीट के फिसलन वाली खम्भे चढ़ कर पैसों तक पहूँच जाता है बिजेता घोषित कर दिया जाता है.यह खेल पूर्णतः निःशुल्क होता है. मेला के सफल संचालन हेतु एक संचालन समिति होती तथा पुलिस प्रशासन का भी साथ बना रहता है.
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