Jagnnathpur :- कुड़मी जाति को आदिवासी दर्जा देने की मांग के विरोध में शुक्रवार को कोल्हान आदिवासी अधिकार मंच के तत्वावधान में बाईक रैली निकाली. रैली की समाप्ति के बाद संगठन के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को तीन सूत्री ज्ञापन सौंपा.

ज्ञापन में मंच के द्वारा कहा गया है कि जाति का संबंध जन्म से होता है ना कि जाति को बनाया जाता है. कुड़मी जाति 1913 को एबोर्जिनल ट्राईब्स में शामिल था. लेकिन 1929 में स्वयं के द्वारा मुजफ्फरपुर अधिवेशन क्षत्रीय में शामिल होने की मांग रखी गयी. उसी के आलोक में तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति ने कुड़मी जाति को ओबीसी में सूची बद्ध करने का आदेश पारित कर दिया. कुड़मी जाति की भाषा संस्कृति आदिवासी रीति रिवाज से कहीं भी मिलती नहीं है. शैक्षणिक व राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा जाय तो आदिवासी के अपेक्षाकृत अधिक सम्पन्न है. संविधान के अनुच्छेद 342 (जनजाति का सिफारिश करने वाला कानून) को जम्मु कश्मीर की धारा 370 ( 35 A) की तर्ज पर धारा 368 के प्रावधान के तहत विलोपित कर दिया जाए.

रैली की अगुवाई मंच के संयोजक लक्ष्मी नारायण गागराई ने किया. जबकि उनके सहयोग में अध्यक्ष जुनास पुरति, सचिव रमेश लागुरी, महा सचिव रोया सिंकु, कोषाध्यक्ष, अंकुरा बोबोंगा, सलाहकार बिरेंद्र बालमूचु, दीपक केराई, सागर सिंकु, गुरुचरण सिंकु, सुरेश चंद्र हेस्सा, विनीत लागुरी समेत सैकड़ों की संख्या में हो समुदाय के लोग शामिल थे.

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