JAMSHEDPUR (ABHISHEK KUMAR) :- बिहार के वैशाली का नौजवान जब जमशेदपुर पहुंचा तब इस ज़िले में हत्या, डकैती का पर्याय बना हुआ था. अपराधियों से लोहा लेने वाले आईपीएस अधिकारी प्रभात कुमार बचपन से ही थाने चौकी में पुलिस और पुलिस की अपराधियों से निपटने की दुश्वारियां को करीब से देखा और समझा. यही वजह थी कि मुंबई के एक निजी कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद जब प्रभात ने यूपीएससी की परीक्षा पास की तो खाकी पहनी और आईपीएस बने.
आधी रात को पुलिस की दस्तक :-
गुरुवार की आधी रात घाघिडीह केंद्रीय कारा में आईपीएस अधिकारी प्रभात कुमार की टीम ने दबिश दी तो जेल के भीतर मौजूद अपराधियों के बीच खलबली मच गई. अकेले प्रभात कुमार ने डेढ़ सौ से ज्यादा अपराधियों को अपने करियर में सलाख़ों के पीछे भेजा है. प्रभात कुमार ने इस दौरान जमशेदपुर के दुर्दांत अपराधी अखिलेश सिंह को पैर में गोली मारी थी. रामगढ़ एसपी के दौरान भोला पांडेय के शार्प शूटरों को ढेर किया.
किस तरह के अपराध करते हैं जेल में बंद अपराधी :-
अधिकारिक सूत्र दावा करते हैं कि जेल में बंद गैंगों के अधिकतर अपराध एक दूसरे गैंग से दुश्मनी से ही संबंधित होते हैं. ये गैंग अमीर लोगों, उद्योग से जुड़े लोगों से वसूली लेते हैं. गैंग इन लोगों को धमकाते हैं और कई मामलें में अपहरण या हत्या तक कर देते हैं. जेल में बंद अपराधी शराब कारोबारियों, सट्टेबाज़ों और चर्चित अमीर लोगों से भी रक़म वसूलते हैं. सूत्रों के मुताबिक़ इसके अलावा ये गैंग हत्याएं, हथियारों की तस्करी भी करते हैं.
पुलिस पर जनता का विश्वास :-
सदैव आपकी सुरक्षा में तत्पर का दावा करने वाली जमशेदपुर पुलिस पर पब्लिक का भरोसा एक वर्ष के भीतर बढ़ा है. आँकड़ों के मुताबिक़ हाल के दिनों में ऐसी घटनाओं में खासा कमी हुई है. मामला चाहे वारंटी को गिरफ्तार करने का हो या अतिक्रमण हटाने का हो या फिर शराब के धंधेबाजों को पकड़ने का,पुलिस की दबिश अपराधियों के ख़िलाफ़ लगातार बढ़ी है.
जमशेदपुर में एक वर्ष के भीतर पुलिसकर्मियों के द्वारा सफ़ेदपोशों को सलाख़ों के पीछे भेजने के बाद ये सवाल फिर उठने लगा है कि ऐसी स्थिति में आम लोगों पर पुलिस का भरोसा कितना क़ायम रह सकेगा. जानकारों का कहना है कि ये स्थिति आम जनता के लिए ठीक है पुलिसकर्मियों के मनोबल के लिहाज़ से, क़ानून तोड़ने वालों को सज़ा मिलनी चाहिये क़ानून की नज़र में आम से लेकर ख़ास सभी एक समान है.
मुस्कान बिखेरती जमशेदपुर पुलिस :-
अगर आपका मोबाइल फोन चोरी हो जाता है तो उसके खोने का गम आपको उतना नहीं सताता है, जितना आप एफआईआर करवाने की बात सोचकर परेशान होते. आप सोचते हैं, पता नहीं पुलिस वाले उल्टे आपको डाँट दें. कमोबेश ऐसी परिस्थिति देश भर के सभी थानों की है. साल 2014 बैच के तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी व वर्तमान में पूर्वी सिंहभूम के वरीय पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने सैंकड़ों लोगों के चेहरे पर वर्षों से खोये हुए लम्हों को वापस लौटाया है.
“आप नहीं होते तो इस पूरे शहर में अपने मोबाईल को हम कहां ढूंढते” बेगूसराय की रीता देवी ने रूंधे गले से जब यह कहा तो उनके स्वर में कातरता साफ़ झलक रही थी. उनके बेटे की आख़िरी तस्वीर उनके खोये हुए मोबाईल फ़ोन में क़ैद थी जो कई सालों से गुम हो गया था. जिसे तीन महीनों की मेहनत के बाद श्री कुमार ने लौटाया है. ठीक इसी तरह कुसुम की मोबाईल गुम हो गई थी. पुलिस टीम के सदस्य इस रोती हुई बच्ची को बहलाने की लगातार कोशिश कर रहे थें. जिसे श्री कुमार ने लौटाया ऐसे सैकड़ों लोगों के चेहरे पर मुस्कान वरीय पुलिस अधीक्षक के कार्यों के कारण हुआ है.
झारखंड में कई अहम पदों पर रहे अवकाश प्राप्त कोल फ़ील्ड के जनरल मैनेजर नाथून सिंह कहते हैं ”क़ानून-व्यवस्था सही करने और सही रखने का दावा हर सरकार करती है. लेकिन इस सरकार में पुलिस को हत्यारों से लड़ने की खुली छूट दी गई है संगठित गिरोह को ध्वस्त करने का प्रयास किया जा रहा है.”
वरीय पुलिस अधीक्षक पूर्वी सिंहभूम प्रभात कुमार कहते हैं कि पुलिस को क़ानून का सम्मान करने वाली और जनता की दोस्त जैसी संस्था के रूप में विकसित करने की ज़रूरत है.
कहानी अभी बाक़ी है :-
प्रभात कुमार आज के समय में जमशेदपुर में युवाओं के रोल मॉडल बन गए है. फ़िल्मी पर्दे पर पुलिस के किरदार निभाने वाले सिंघम की छवि बन गई है.